बलराम ही निताई है!
आत्मा के नित्य-स्वरुप, स्वभाव और प्रेम को ‘धर्म’ कहते हैं | प्रत्येक आत्मा का भगवान् निताइ-गौर तथा राधा-कृष्ण के प्रति यह विशुद्ध, किन्तु सुप्त प्रेम को जागृत करने के विज्ञान को निताइ-गौर-नाम कहते हैं|
नित्य का अर्थ है शाश्वत, तथा आनंद का अर्थ है दिव्य सुख| गौर का अर्थ है पिघले हुए स्वर्ण जैसा और अंग का अर्थ है दिव्य विग्रह| अत: नित्यानंद और गौरांग यह दोनों ही भगवन्नाम हैं| गौर शब्द में ‘गौ’ का अर्थ है गोविन्द और ‘र’ का अर्थ है राधा|अतः कृष्ण राधिका का गौर वर्ण| हरे का अर्थ है हरा – अर्थात श्रीमती राधिका – जो कृष्ण के ह्रदय को भी हर लेतीं हैं| वे कृष्ण की आह्लादिनी शक्ति हैं| ‘राम’ का अर्थ है दिव्यानंद के उपभोक्ता|
नित्य का अर्थ है शाश्वत, तथा आनंद का अर्थ है दिव्य सुख| गौर का अर्थ है पिघले हुए स्वर्ण जैसा और अंग का अर्थ है दिव्य विग्रह| अत: नित्यानंद और गौरांग यह दोनों ही भगवन्नाम हैं| गौर शब्द में ‘गौ’ का अर्थ है गोविन्द और ‘र’ का अर्थ है राधा|अतः कृष्ण राधिका का गौर वर्ण| हरे का अर्थ है हरा – अर्थात श्रीमती राधिका – जो कृष्ण के ह्रदय को भी हर लेतीं हैं| वे कृष्ण की आह्लादिनी शक्ति हैं| ‘राम’ का अर्थ है दिव्यानंद के उपभोक्ता|
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